स्वच्छ विचारों की धरती पर भारत को स्वर्ग बनाएंगे
ज़रूरत पड़ने पर अपना हम लहू भी ज़रूर बहायेंगे।
बस्ती बस्ती में जाकर के घर घर शिक्षा बाँट कर हम
नन्हें नन्हे फूलों को शिक्षा की खुशबु से महकायेंगे।
यह तेरा है यह मेरा है आपस में लड़ेंगे न कभी हम
प्यार और भाईचारे की अलख हर दिल में जलाएंगे।
तप कर कुंदन बनता है मेह्नत से उपवन खिलता है
खेत जोतेंगे कड़ी धूप में पसीने से नगीने बनाएंगे।
न ही आांसू होंगे आँखों में न दर्द ही होंगे चेहरों पर
हम अपनी भारत माता को इतना ही सुन्दर बनाएंगे।
ज़रूरत पड़ने पर अपना हम लहू भी ज़रूर बहायेंगे।
बस्ती बस्ती में जाकर के घर घर शिक्षा बाँट कर हम
नन्हें नन्हे फूलों को शिक्षा की खुशबु से महकायेंगे।
यह तेरा है यह मेरा है आपस में लड़ेंगे न कभी हम
प्यार और भाईचारे की अलख हर दिल में जलाएंगे।
तप कर कुंदन बनता है मेह्नत से उपवन खिलता है
खेत जोतेंगे कड़ी धूप में पसीने से नगीने बनाएंगे।
न ही आांसू होंगे आँखों में न दर्द ही होंगे चेहरों पर
हम अपनी भारत माता को इतना ही सुन्दर बनाएंगे।
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