Sunday, February 17, 2013

सीखने की उम्र में, सिखाना आ गया
सबने कहा कैसा ये दिवाना आ गया !
शमां तो जल न पाई थी अब तलक़
इतनी जल्दी कैसे परवाना आ गया !
जिसने भी तुझे देखा, तारीफ़ तेरी की
हर नज़र में कोई बुतख़ाना आ गया !
ज़िक्र होता है, जब भी, उन लम्हों का
लगता है हाथ में कोई ख़ज़ाना आ गया !
यादों के सिवा तेरी , कुछ भी नहीं बचा
हमें भी घर अपना यूं सजाना आ गया !
उम्र की कभी कोई मन्ज़िल नहीं होती
समझ में अब यह अफसाना आ गया !
बुरा नहीं लगता, अब हंसना किसी का
मिज़ाज दोस्ताना वो पुराना आ गया !
इनायतें बरसने लगी, आसमान से यूं
लगा सियासत का अब ज़माना आ गया !

Saturday, February 16, 2013

--------- माँ शारदे स्तुति ---------
नमस्कार है ,सरस्वती को, माँ सरस्वती को नमस्कार
माँ ब्रह्म रूपा को नमस्कार,वीणावादिनी को नमस्कार !
रंग माँ का चन्द्र सा धवल , है कन्द पुष्प सा उज्जवल
श्वेत पद्मासन , विद्या देवी ,हंस वाहिनी को नमस्कार !
शिव, ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र भी करें स्तुति जिनकी सदा
गीत संगीत की, ललित कलाओं की देवी को नमस्कार !
शब्द नव , नव बंध भर, ताल नव , नव छंद भर
अंतर दीप जलाती माँ परमा- बुद्धि को नमस्कार !
है नमस्कार ,है नमस्कार ,है नमस्कार ,नमस्कार माँ
सरस्वती को नमस्कार है ,माँ सरस्वती को नमस्कार !
शहर में वसंत
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गाँव पीछे छुट गया ,कहाँ गया वसंत
शहर में नहीं खिलता ,कहाँ गया वसंत !
सरसों के फूल सजे हैं सब्जी के ठेले पर
वो खेत में बिखरा हुआ कहाँ गया वसंत।
फूलों पर मदमाते हुए भवरों का गुंजन
वो कोयलों का कूकना ,कहाँ गया वसंत !
मांझे से कटी हुई चीसती वो अंगुलियाँ
वो पतंगों का उड़ना ,कहाँ गया वसंत !
वेलेंटाइन डे की धूम तो है गली गली
प्यार में लिपटा हुआ, कहाँ गया वसंत !
खिली खिली रुत का वो खिला सा यौवन
शहर में आता आता ,कहाँ गया वसंत !
जाड़ा जाता नहीं, वसंत मनाए कैसे
अचानक फ़लक़ पे बादल छाए कैसे !
गुलिस्तां पर जैसे कोई बला आ गई
त्यौहार वसंत का, दिल मनाए कैसे !
वसंत, अंतर के उजास का उत्सव है
सूरज बेहद उदास है, गीत गाए कैसे !
मौसम में भी मिलावट हो गई अब
मधुमास ठंड को गले से लगाए कैसे !
मादकता का आलम दिल में भरा है
वो मस्ती वो उल्लास पर छाए कैसे !
आसमान भीग रहा है सुबह से ही
वसंत , वसंत में पतंगे उड़ाए कैसे !

Wednesday, February 13, 2013

प्यार के इस दिन की सबको हार्दिक शुभ कामनायें
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सबको तुझ से है बेहद प्यार
वाह रे गुलाब तेरे रंग हज़ार !
तुझे देख कर मचलता है दिल
तू ही करता है प्यार का इज़हार !

Monday, February 4, 2013

ग़मों की भी अब किस्मत बदलनी चाहिए
ज़िस्म से दुख की पीड़ा निकलनी चाहिए !
दर्द की इन्तिहा हो गई है सीने में अब तो
कैसे भी हो ज़ख्मों की सूरत बदलनी चाहिए !
तमाम हिम्मतें जमा की कुछ कहने के लिए
दिल की बात जुबां से तो निकलनी चाहिए !
हम पर पाबंदी है बे नक़ाब करने की उन्हें
कुछ ख़ता हवाओं को भी करनी चाहिए !
वक्त जो गुज़र गया, गुज़रना था वैसे ही
सफ़र पर चलने की तैयारी रखनी चाहिए !
फ़र्क कुछ भी नहीं मंदिर मस्ज़िद गुर्दवारे में
कैसे भी हो बीच की दीवार गिरनी चाहिए !

Saturday, February 2, 2013

पिछले जन्मों की क़िताब किसने देखी
थी वो कितनी लाजवाब किसने देखी !
याद कोई नामो निशान शेष नहीं है
वो नाव होती गर्क़ाब किसने देखी !
आंखे वो लब , चेहरा और वो रंगत
किसमे थी कितनी आब किसने देखी !
जिन्हें छोड़ कर चला आया था कभी
वो बस्तियां भी बेताब किसने देखी !
उम्र तमाम सजने संवरने में लगे रहे
वो मिट्टी अपनी बेआब किसने देखी !
जहां भी गये नसीब अपना साथ ले गये
सहरा में फसलें शादाब किसने देखी !
फ़रिश्ते ही चखा करते थे बस जिसको
कैसी थी वो आबे -शराब किसने देखी !
बस दो चार घडी का ही खेल है जिंदगी
यह जिंदगी फिर ज़नाब किसने देखी !
आबे - शराब ------सोमरस

Friday, February 1, 2013

मन लगा यार फ़कीरी में
क्या रखा दुनियादारी में !
कुछ साथ नहीं ले जायेगा
क्या रखा चोरा चारी में !
वो गुलाब बख्शिश में देते हैं
जब भी मिलते हैं बिमारी में !
फ़िर हिसाब फूलों का लेते हैं
वो ज़ख्मों की गुलकारी में !
किस किस को समझाओगे
कुछ नहीं रखा लाचारी में !
धूल उड़ाता ही गुज़र गया
तो क्या रखा फनकारी में !
मैं झुककर सबसे मिलता हूँ
कुछ दम है मेरी खुद्दारी में !