Tuesday, October 28, 2014

अगर सोच अपना मिज़ाज बदल लेती
ज़िंदगी भी अपना अंदाज़  बदल लेती।
नफ़रत अगर ज़रा भी मोहलत दे देती
मुहब्बत भी अपने परवाज़ बदल लेती।
गुलों से खुशबु अगर  बातें नहीं करती
रिवायतें भी अपने रिवाज बदल  लेती।
दिख जाता मुझको भी अगर चाँद मेरा
ख्वाहिशें मेरी तख्तो -ताज़ बदल लेती।
दिल को जो धड़कना नहीं आता अगर
धड़कनें तक़  अपना साज़  बदल लेती।
धुंधलका भी दिन भर छाया नहीं रहता
सुबह अगर अपना आग़ाज़ बदल लेती।
ज़िन्दग़ी हम को भी तो रास आ जाती 
क़यामत जो अपनी आवाज़ बदल लेती।   

Wednesday, October 15, 2014

आकाश में पगडंडियां नहीं होती
रहने को  झोपण्ड़ियां नहीं होती।
आकाश में उड़ते हुए  परिंदों की
ज़मीन पर परछाइयां नही होती।
ज़िंदगी करवटें बदलती रहती है
हर  वक़्त  उदासियां  नहीं होती।
चाँद ने तो घटना बढ़ना होता है
हक़ीक़तें  कहानीयां  नहीं होती।
चलती है या फिर वो नहीं चलती
हवा में गलतफहमियां नहीं होती।
तन्हाइयां भी साथ में नहीं रहती
दरमियां अगर दूरियां नहीं होती।
ज़िंदगी ही फिर तो दूभर हो जाती
उसमे अगर चुनौतियां नहीं होती।
कृष्णा कभी भावुक हुए नहीं होते
दूर अगर गई गोपियां नहीं होती। 
 
 

Sunday, October 12, 2014

सुना है  कुछ आंसू आज आना चाहते थे
एहसास दिल को कुछ दिलाना चाहते थे।
उदासियाँ महक रही हैं अन्दर मेरे  कुछ
अक्स मुझको उनका दिखाना चाहते थे।
एक नाम हर वक़्त ज़बां पर था जो मेरे
सीने में उसे गहरा  दफ़नाना चाहते थे।
यह हाथ बे रंगे हिना अच्छे नहीं लगते
चाँद तारे हथेली पर  सजाना चाहते थे।
मेरा मिज़ाज बिलकुल  हवाओं जैसा  है
हम रिश्तों पे जमी गर्द उड़ाना चाहते थे।
गुज़रे हुए ज़माने की  आरज़ू नहीं हूँ मैं
वक़्त को भी तो यह बतलाना चाहते थे।
उतार लेते हैं  जो अपने हाथ पर सूरज
दिया उनके हाथों ही जलाना चाहते थे।
तुम्हे ही मौक़ा न दिया ज़रा सा भी हमें
हम तो हद से ही गुज़र जाना चाहते थे।
कहाँ से ढूंढ कर लाते ज़न्नत दूसरी हम
हम  तो  वही मौसम पुराना  चाहते थे।
नींद आती तो बुला लेते आँखों में तुम्हे
ख्वाब तो तुम्हारा ही सिरहाना चाहते थे।
 

Saturday, October 4, 2014

वो मुठ्ठी में सारा आसमान लिए बैठे हैं
वो दिल में बहुत से अरमान लिए बैठे हैं।
मेरी लम्बी उम्र है बोले मुझसे मिलते ही
क़त्ल का मेरे जो वो सामान लिए बैठे हैं।
आज चेहरे पर फ़िर से चेहरा नया चढ़ा है
आज फिर  एक नई पहचान लिए बैठे हैं।
इस तरह आँखे चुराके यार मुझसे न मिल
हम भी तो तेरे भरोसे जान  लिए बैठे हैं।
हमें मंज़ूर नहीं शिकायतें  करना अक्सर
मुंह में  हम भी अपने ज़ुबान लिए बैठे हैं।
नेकियां करके हमने भी कुएं में डाल  दी
हम भी दिल में अपने इंसान लिए बैठे हैं।