Thursday, August 20, 2015

तड़पाना  तेरी आदत  ही सही 
तुझे इश्क़ नहीं वहशत ही सही। 

मेरी जान तुझ पर ही निसार है 
भले तुझे मुझसे नफ़रत ही सही। 

मैंने माना  कुछ तो उधर  भी है 
उल्फ़त न सही अदावत ही सही। 

दिल को फिर भी  बेक़रारी सी है 
उल्फ़त न सही ग़फ़लत  ही सही।

कुछ तो है  जिसकी  पर्दादारी है 
इश्क़ न सही ग़मे इश्क़  ही सही।

हस्ती मेरी भी  कुछ  कम नहीं 
शोहरत न सही  हसरत ही सही।

 आ कुछ  देर  आराम से बैठ लें  
महफ़िल न सही ख़ल्वत ही सही। 
  
  वहशत-उन्माद,अदावत -दुश्मनी 
       ख़ल्वत -एकांत 




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