Wednesday, January 23, 2013

ख़ुशबू उनकी जाफ़रानी है
चेहरे पर अज़ब नदानी है !
गालों पर दहकते हैं पलाश
शबाब उनका बे बयानी है !
चरचा पहुंचा चाँद पे उनका
लगा चाँद रु ब रु बेमानी है !
शब् ने चाँद से कहा हंसकर
तेरी चांदनी तो ये पुरानी है !
चाँद बोला,मेला दो घडी का है
यह माना रुत बड़ी सुहानी है !
उम्र तो रवानी है मौजो की
नहीं रहती हर पल जवानी है !
शबाब हर रात मेरा नया है
फिर कैसे चांदनी पुरानी है !
ज़ाम हो, शीशा हो या दिल
टूट जाना सबकी कहानी है !

Wednesday, January 16, 2013

अंधों के शहर में आइना न मिलेगा
पत्थरों के शहर में शीशा न मिलेगा !
जितनी भी पीनी है पी ले तू ओक़ से
यहाँ तुझको कोई पैमाना न मिलेगा !
जाने क्या सोचा करता है, हर वक्त
किसी पल भी वो अकेला न मिलेगा !
देख ली तुमने अगर तस्वीर हमारी
दिल कहीं और फिर लगा न मिलेगा !
हाथ थामलूँ या तेरी पेशानी चूमलूं
बार बार ऐसा तो मौका न मिलेगा !
अज़ब आलम है मेरी बेचारगी का
मुझ जैसा कोई बावला न मिलेगा !
मन कर रहा है, तुझे शुक्रिया कहूं
तुझ जैसा शख्स दूसरा न मिलेगा !
जिंदगी के दिन थोड़े से ही बचे हैं
क्या खबर थी हमे ख़ुदा न मिलेगा !

Wednesday, January 9, 2013

बहुत दिनों से धूप नहीं निकली ---

भर सर्दी में वो रात भर काँपता रहा
एक चादर में ही गर्मी तलाशता रहा !
सुबह फिर कुहरे में छिप गई धूप
सूरज को सारा दिन पुकारता रहा !
शाम, धुंध के आगोश में आ गिरी
रात भर अँधेरा फिर चीखता रहा !
बहुत दिनों से धूप निकली नहीं
आकाश सल्तनत यूं बांटता रहा !
नाव डूब गई जैसे किनारे पे आकर
हाशिये पर खड़ा बस ताकता रहा !
कभी तो सूरज उसके घर आएगा
उम्मीद पर जिंदगी गुज़ारता रहा !
बेटा भले ही बुज़ुर्ग हो जाये ,माँ से यह कहता है
माँ मुझको सुकून तेरी ही गोद में तो मिलता है !
तेरी दुआओं से ही मेरे दिल में उजाला भरता है
माँ तेरा दिल भी तो बस मेरा ही रस्ता तकता है !
माँ कहती है ,
सफ़र जितना बाकी है यूं ही कट जाये मेरे बेटे
तेरे हाथों की हरारत से मेरा चेहरा निखरता है !
तू ही तो मेरा नटखट कन्हैया भी है मेरे बेटे
तेरी बातों में ही तो मेरा ज़हान भी बसता है !
मगर क्या करूँ, मेरी किस्मत में तो जुदाई है
यह सोच कर दिल मेरा बेहद ही धडकता है !