आँखों को बेनक़ाब कर देगा
मिलेगा तो बेख़्वाब कर देगा।
संदल से महकते बदन को मेरे
अपनी ख़ुश्बू से गुलाब कर देगा।
इस क़दर चूमेगा पेशानी मेरी
अपनी छुअन से सैलाब कर देगा।
उसका रुका रुका सा नरम लहज़ा
सर्द हवाओं को बेताब कर देगा।
आसमां को छोड़ देगा तन्हा वो
मुझे पिघलता महताब कर देगा।
आँखों से पीकर हुस्ने ज़ाम मेरा
मुझको क़ीमती शराब कर देगा।
बैचेनी का आलम होगा इतना
तमाम उम्र का हिसाब कर देगा।
मिलेगा तो बेख़्वाब कर देगा।
संदल से महकते बदन को मेरे
अपनी ख़ुश्बू से गुलाब कर देगा।
इस क़दर चूमेगा पेशानी मेरी
अपनी छुअन से सैलाब कर देगा।
उसका रुका रुका सा नरम लहज़ा
सर्द हवाओं को बेताब कर देगा।
आसमां को छोड़ देगा तन्हा वो
मुझे पिघलता महताब कर देगा।
आँखों से पीकर हुस्ने ज़ाम मेरा
मुझको क़ीमती शराब कर देगा।
बैचेनी का आलम होगा इतना
तमाम उम्र का हिसाब कर देगा।
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