अपनी ही करतूत पर हंसी आ गई
दिल में कोई तमन्ना नई आ गई।
शाम नई ,रात नई, रौशनी भी नई
एक नए मोड़ पर ज़िंदगी आ गई।
याद आई उनकी इतनी शिद्दत से
लगा उड़ कर खुशबु उनकी आ गई।
इस क़दर मिले वह भीड़ में मुझको
ज्यों तपती हुई धूप में नमी आ गई।
उनको पाकर मैं पागल सा हो गया
आदत मुझमे एक ये अच्छी आ गई।
चाँद भी आसमान में मुस्करा रहा था
प्यार करने उसे भी चांदनी आ गई।
यादोँ क़िस्सों में ही जो बसा करती है
हाथ में मुहब्बत की हवेली आ गई।
दिल में कोई तमन्ना नई आ गई।
शाम नई ,रात नई, रौशनी भी नई
एक नए मोड़ पर ज़िंदगी आ गई।
याद आई उनकी इतनी शिद्दत से
लगा उड़ कर खुशबु उनकी आ गई।
इस क़दर मिले वह भीड़ में मुझको
ज्यों तपती हुई धूप में नमी आ गई।
उनको पाकर मैं पागल सा हो गया
आदत मुझमे एक ये अच्छी आ गई।
चाँद भी आसमान में मुस्करा रहा था
प्यार करने उसे भी चांदनी आ गई।
यादोँ क़िस्सों में ही जो बसा करती है
हाथ में मुहब्बत की हवेली आ गई।
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