Monday, July 28, 2014

उन जैसा कोई भी नहीं दूसरा देखा
उन्हें जब भी देखा अलग सा देखा।
क्यूं न सज़दा करें दरगाहे हुस्न में
मैंने  उनमें सदा अपना ख़ुदा देखा।  

Sunday, July 20, 2014

साक़ी बदल रहे हैं मैक़श भी बदल रहे हैं
नज़रों से पिलाने वाले नज़रें बदल रहे हैं।
साथ चल रहे हैं तो कुछ तन्हां चल रहे हैं
शहरों की तेज़ धूप में तन मन जल रहे हैं।
खता हुई थी हम से  एक भूल से ही सही
किस्से अब तक भी ज़ुबां पे मचल रहे हैं।
फूल से पत्थर बने फ़िर खंज़र बन  गए
उम्मीद के साये में वो अब भी पल रहे हैं।
क़ैसी बहार आई कि पत्ते भी झुलस गए
जाने कैसे  दर्द अब  दिलों  में ढल रहे हैं।
रंग अपना फ़लक़ ने बदल दिया जब से
दरिया भी किनारे अपने तो बदल रहे हैं।
गलत रस्तों पे चलके नस्लें मैली हो गई
कपडे पे दाग़ आते ही कपडे बदल रहे हैं।
ड़ाल रक्खा है मुक़द्दर ने उनकी राहों में
एक वो  हैं  हम से ही बचकर चल रहे हैं। 
   

Tuesday, July 8, 2014

बेशक़ टूटा फूटा है पर मेरी अमानत है
दिल  मेरा फ़िर भी बहुत खूबसूरत  है।
मीरा है कृष्ण की कभी है यह  कबीरा
ख़ुदा जाने इसमें ही ऐसी क्या सिफ़त है।
हमनवी है  सबका , सबका हमनशीं है
तमन्ना है दिलों की दिलों की चाहत है।
उदासियों में सब की रंग भर देता है यह
इसकी दिवार पर लिखी ऐसी इबारत है।
इसकी अदाओं पे जाँ छिड़कता हूं मैं भी
कभी मुहब्बत है तो कभी यह इबादत है।
फिर भी जाने  इतना  यह बेसदा क्यों है
ख़बर नहीं  इस पर किस की हुकूमत है।
हैरान हूँ सोच कर  लेकिन  मैं यह बहुत
क्यों टूट जाना इस बेज़ुबां की किस्मत है।

Thursday, July 3, 2014

मेरी ज़मीन आसमान संभाल लेती है
ज़ियादा ख़ुशी आंसू निकाल देती है।
माना कि नूर चांद में अपना है मगर
मेरी नज़र उसे हुस्नो- ज़माल देती है।
देखने का नजरिया  सबका अलग है
ज़िन्दगी  तो बहुत से सवाल देती है।
छोड़कर जाती है  न ही जीने देती है
ज़िन्दगी मुश्क़िल में हमें डाल देती है।
देने पर आती है तो फिर चूकती नहीं
ज़िन्दगी ख़ुशियां भी बेमिसाल देती है।
सही वक़्त पे सही क़दम न उठाया तो
जंज़ीर भी  पाँव में फ़िर  डाल देती है ।
मुहब्बत की क़शिश भी क्या क़शिश है
तस्वीरों में भी खुशबु वो डाल देती है।
मुहब्बत से भरी हुईबस एक निगाह ही
पूरी ज़िन्दगी को ही कर निहाल देती है।   

Wednesday, July 2, 2014

मिठास जुबां में घुल जाये तो ज़िंदगी महका देती है
मिठास खून में घुल जाये  तो ज़िंदगी मिटा देती है।