सुबह का सूरज शाम को पुराना हो गया
मुख़ातिब हमसे नया ज़माना हो गया।
दिल की बात भी कह नहीं पाये होठों से
भूला भूला सा हर एक अफ़साना हो गया।
ज़ख़्म भी इतने मिले कि गिन नहीं सके
इश्क़ के सौदे में मिला बयाना हो गया।
बहुत सोचा था ग़म थोड़ा सा तो बांट लूं
मगर दिल भी बड़ा अब सयाना हो गया।
टली थी बात कल पर वो कल नहीं आया
शिकायत जिससे भी थी याराना हो गया।
तस्वीर तो मेरी तुम्हारे ही पास थी मगर
ज़रुरी शीशे को भी मुंह दिखाना हो गया।
ज़िंदगी तो परेशान है तश्ना लबी से मगर
दिले अंदाज़ अपना ही सूफ़ियाना हो गया।
मुख़ातिब हमसे नया ज़माना हो गया।
दिल की बात भी कह नहीं पाये होठों से
भूला भूला सा हर एक अफ़साना हो गया।
ज़ख़्म भी इतने मिले कि गिन नहीं सके
इश्क़ के सौदे में मिला बयाना हो गया।
बहुत सोचा था ग़म थोड़ा सा तो बांट लूं
मगर दिल भी बड़ा अब सयाना हो गया।
टली थी बात कल पर वो कल नहीं आया
शिकायत जिससे भी थी याराना हो गया।
तस्वीर तो मेरी तुम्हारे ही पास थी मगर
ज़रुरी शीशे को भी मुंह दिखाना हो गया।
ज़िंदगी तो परेशान है तश्ना लबी से मगर
दिले अंदाज़ अपना ही सूफ़ियाना हो गया।
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