Wednesday, August 31, 2016

चेहरा उसका चाँद का  ज़वाब है 
चाँद  को चूमता हुआ  गुलाब है !

चाँद  ने अपनी  रोशनी से लिखी  
बेपनाह  हुस्न की  वह किताब  है !

देखने से भी रंग वो शरमाने लगे 
सादगी उसमे  इतनी बेहिसाब है !

सुर्ख़ रुख़सार पर  सियाह ज़ुल्फ़ें 
चेहरे  पर कोई  जादुई  नक़ाब है !

ख़्वाहिशों  का भी रुख़  बदल दे 
हर अंदाज़  उसका  लाज़वाब है !

दिल की  बेचारगी का क्या करें  
दिल चुरा ले वह तो वो शबाब है !

आंखे है कि भूलती ही नहीं उसे  
देखने को वह अकेला ख़्वाब है !

शरबती आंखों में  वह सुर्ख डोरे
नशा न उतरे कभी ऐसी शराब है !

           ------सत्येंद्र गुप्ता 

Friday, August 12, 2016

भारत माँ तेरी सुंदरता का सानी नहीं कोई मिलता
तेरे मस्तक पर सजा ताज़ कहीं और नहीं माँ सजता !

प्रातः सूरज की लालिमा में रूप  तेरा ही  दमकता
चाँद भी अपनी धवल किरणों से सिंगार तेरा करता  !

गंगा यमुना की धारा से तन मन पुलकित रहता है 
श्रद्धा ,ममता ,त्याग ,शांति से है तेरा वैभव सजता  !

दक्षिण में सागर की लहरें  हैं चरण तेरे ही  धोती 
उत्तर में गिरिराज हिमालय  तेरी ही रक्षा करता !

तेरे आँगन में ही जन्मे  थे सूर, कबीर और तुलसी 
उनकी संस्कृत्यों का उजाला तुझे सुशोभित करता  !

रक्षा बंधन ,ईद ,दिवाली ,बैसाखी ,होली ,क्रिसमस 
बसंत अंक में लिए मधुमास , तुझे सुवासित करता !

गाँधी ,बोस ,भगत सिंह ,लक्ष्मी बाई की धरती पर 
कोई गद्दार आतंक वादी है पाँव नहीं रख सकता  !

एक सूत्र में बंधे हैं सब हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई 
कोई माई का लाल  हमे अलग नहीं कर सकता !

छीन सकेगा कोई न तुझ से माँ तेरा यश आधार 
माँ  तेरे सपूतों के आगे कोई नहीं टिक सकता !

तेरी आँखों में आंसू माँ  कभी नहीं आने देंगे हम 
माँ शत शत प्रणाम तुझे हर भारत वासी करता  !

                             ---- सत्येंद्र गुप्ता 
                                    नज़ीबाबाद  

Tuesday, August 9, 2016

जाने किस ज़माने की बात करते हैं 
वह  दिल दुखाने की बात करते हैं  !

ज़ख़्म ताज़ा हैं चोट बहुत गहरी है 
वह जशन मनाने की बात करते हैं  !

ज़माखोरी करते हैं  सदा दर्द की 
ख़ज़ाने  लुटाने की  बात  करते हैं  !

ग़ुब्बारे फूलाकर उम्मीदों के वह 
सूइयां  चुभाने की  बात  करते हैं  !

लाश शर्म  सब  वह छोड़ चुके हैं 
निगाहें  लड़ाने की बात  करते हैं  !

लहू कितना  बचा है मुझ में अभी 
मुझको आज़माने की बात करते हैं !

दो बूँद चखी नहीं  जिसने  कभी 
वो पीने पिलाने की बात करते हैं ! 

किसी सूरत से बचपन लौट आये 
हम पतंगें उड़ाने की बात करते हैं  !

           --------  सत्येंद्र गुप्ता 
तूने मुझे अब तक भी समझा नही है
या मेरे बारे मे तूझे कुछ पता नही है
मुझे आजमाने की तू जुर्रत न करना
इंसान है तू भी तो कोई खुदा नही है
बेवफ़ाई का मुझको हुनर नही आया
मंजर तो दिलकश है अच्छा नही है
जरूर कोई तो कमी मुझमे भी होगी
नसीब का खम अभी निकला नही है
तुम ही बताओ कहाँ जाएँ क्या करें हम
सुकून दिल को अब तक मिला नहीं है
हुस्न की भी इतनी न तारीफ करो तुम
ईमान पर इश्क़ के भी भरोसा नही है
अभी तो सफर भी बहुत दूर तक का है
और बीच मे भी कहीं रूकना नही है
उसकी खुशी में खुशी अपनी देखी थी
आज खुशियों की फुलझड़ी देखी थी
पहली बार आज हमें मजा आया था
पहली मरतबा हमने जिंदगी देखी थी
आज फूल ने खूशबू महसूस की थी
आज चांद ने अपनी चांदनी देखी थी
गरमी से तपती सुलगती हुई धरती पे
सावन की ठंडी फुहार पड़ी देखी थी
लगा मन की बातें कर लें उनसे आज
होठों पर अजब सी ही चुप्पी देखी थी
चकाचौंध इतनी थी कि न पूछो यारों
अंधेरे मे चिरागों की बस्ती देखी थी
उसको देख तबियत न भरी देखकर
खुशियां आपस मे यूं जुड़ी देखी थी

Monday, August 8, 2016

दर्दे दिल अभी हुआ नहीं है
दिल भी अभी दुखा नही है
उल्फत नई नई है अभी तो
इश्क़ भी अभी हुआ नहीं है
तुझसे बात करूं क्या मैं दिल
मुझे अभी कुछ पता नही है
हां इतना जरूर सुना है मैने
इश्क़ जुनून है ,सजा नही है
इश्क़ खुदा है जाना है यह
इश्क़ नही है तो खुदा नही है
खुदा का भी खुदा है इश्क़
इश्क़ अता है खता नही है
हम सदा तन्हाइयों के शहर में रहे 
जहां  रहे यादों के  खँडहर में  रहे !

ज़िन्दगी तूने ही कहीं रहने न दिया 
सारी उम्र हम तो बस सफर में रहे !

भाग दौड़ में ही कट गई ज़िन्दगी 
कभी  चैन से  न अपने  घर में रहे !

बाढ़ आई कभी तो सूखा भी पड़ा
कभी  हम अंधेरों  के नगर में रहे !

फैसले भी छोटे बड़े सारे ही लिए
हम हमेशा अपने ही  तेवर में रहे !

किरदार भी सारे ही निभाए हमने
जहाँ भी रहे सदा ही  खबर में रहे !

मत पूछ  हालते  दीवानगी हमारी
तूझे बिना  बताये तेरे  शहर में रहे !

ईमान को कभी चूर होने न दिया
हर वक़्त आइनों  के शहर में रहे !

तू भी न मिली कभी हमसे ज़िन्दगी
कहने को हम तेरी ही नज़र में रहे !

           ------सत्येंद्र गुप्ता