इबादतों का नया सिलसिला हो गया
संग जो भी तराशा वही ख़ुदा हो गया।
रिश्ता बहाल रहा जब तक चुप था वो
लफ़्ज़ मुँह से निकलते ज़ुदा हो गया।
उसने इस अदा से देखा बज़्म में मुझे
जैसे मुझ पे बुरी तरह ख़फ़ा हो गया।
निकल कर बज़्म से मेरे साथ यूँ चला
लगा मुझ पर बुरी तरह फ़िदा हो गया।
यह हक़ीक़त है कि ख्वाब मुझे नहीं पता
जो भी मिला मुझे लगा वो मेरा हो गया।
लुट गए सरे राह जब तो भेद यह खुला
रहज़न था वह तो जो बना रहनुमा था।
बड़े अदब से जिसे सबने रहनुमा कहा
पलक़ झपकते ही क्या से क्या हो गया।
संग जो भी तराशा वही ख़ुदा हो गया।
रिश्ता बहाल रहा जब तक चुप था वो
लफ़्ज़ मुँह से निकलते ज़ुदा हो गया।
उसने इस अदा से देखा बज़्म में मुझे
जैसे मुझ पे बुरी तरह ख़फ़ा हो गया।
निकल कर बज़्म से मेरे साथ यूँ चला
लगा मुझ पर बुरी तरह फ़िदा हो गया।
यह हक़ीक़त है कि ख्वाब मुझे नहीं पता
जो भी मिला मुझे लगा वो मेरा हो गया।
लुट गए सरे राह जब तो भेद यह खुला
रहज़न था वह तो जो बना रहनुमा था।
बड़े अदब से जिसे सबने रहनुमा कहा
पलक़ झपकते ही क्या से क्या हो गया।
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