Tuesday, October 29, 2013

तारीख़ बदलने से तक़दीर नहीं बदलती
वक़त के हाथ की शमशीर नहीं बदलती।
मैं ज़िन्दगी भर ज़िन्दगी तलाशता रहा
ज़िन्दगी , अपनी ज़ागीर नहीं बदलती।
कितने ही पागल हो गये ज़ुनूने इश्क़ में
मुहब्बत  अपनी तासीर  नहीं बदलती।
प्यार ,वफ़ा,चाहत ,दोस्ती व  आशिक़ी
इन किताबों की तक़रीर नहीं बदलती।
अपनी खूबियाँ, मैं किस के  साथ बाटूं
अपनों के ज़िगर की पीर नहीं बदलती।
कईं बार आइना भी मुझसे लड़ा लेकिन
मेरी सादगी  ही  ज़मीर नहीं  बदलती।
बहुत ग़ुरूर है, चाँद को भी  चांदनी पर
चांदनी भी अपनी तस्वीर नहीं बदलती।
पड़ गई आदत मुझे साथ तेरे चलने की
मेरी बेरूख़ी भी , ज़ागीर नहीं बदलती।
मेरा वायदा है , मैं  निभाऊंगा भी ज़रूर
मेरे मनकों की भी तनवीर नहीं बदलती।

 

Saturday, October 19, 2013

नज़र में रह कर भी नज़र में नहीं
गुज़र अब मेरी उसके घर में नहीं।
मैंने तो सिलसिला रखा था उससे
उस की चाहत, मेरे असर में नहीं।
दुश्मनों से पहचान मिली है मुझे
अपनों  के तो, मैं बराबर  में नहीं।
पत्थरों से डर नहीं लगता मुझको
अब आइना कोई  मेरे घर में नहीं।
बहुत खुश था मैं तो सोच कर यह
मुझ से अच्छा सारे शहर में नहीं।
मगर मुझ में कुछ टूटने लगा अब
अब वो दम इस मुसाफिर में नहीं।


 

Friday, October 18, 2013

ख़ुद से भी मिलना मिलाना छोड़ दिया
अब हमने एहसान जताना छोड़ दिया। 
बहुत प्यार था  रूह से, ज़िस्म से हमें
अब अपने बारे में बताना  छोड़ दिया।
सुना है जबसे आइना झूठ बोलता नहीं
उसे देखने का शौक़ पुराना छोड़ दिया।
हादसे इस क़दर से गुज़रे गये  हम पर
ख़ुद जलते रहे अश्क़ बहाना छोड़ दिया 
पता चला ज़िंदगी  ही चार  दिन की है 
हमने अब खुद पर इतराना छोड़ दिया। 
जीते ज़ी यह दुनिया न हुई  किसी की 
दीवारों से ही  सर टकराना छोड़ दिया।
गिलास हाथ में था , याद तेरी आ गई 
फिर तो हमने पीना पिलाना छोड़ दिया।  

Wednesday, October 16, 2013

छत्त नीची हो तो  सर उठाया नहीं जाता
दुआ मांगते वक्त  सर झुकाया नहीं जाता !
जीना  है अगर,  धोखे  तो खाने ही पड़ेंगे
फूलों की तरह भी तो इतराया नहीं जाता !
अगर कहला भेजते  तो हम भी आ जाते
बिना बुलाये हम से कहीं आया नहीं जाता !
हर लम्हा आइना भी बदलता है अपना रंग
इस हकीकत को भी झुठलाया नहीं जाता !
बुतों से भी  हमको  कोई शिकायत नहीं है
जो सुन नहीं सके उसे सुनाया नहीं जाता !
आँखों ही आँखों में अदा होते हैं जो मजमूँ
लिख कर  वह पैगाम भिजवाया नहीं जाता !
सारी मस्ती तुम्हारी इन आँखों की ही तो है
ज़ाम लबों से अब हमसे लगाया नहीं जाता !
संवरने में अभी जाने कितना वक्त लगेगा
अब खुशबुओं का बोझ  उठाया नहीं जाता !

Monday, October 14, 2013

सुर्ख लबों पर तिल बेमिसाल होता है
कोई हुस्न सर-ता-पा कमाल होता है !
असीम सुन्दरता की मूरत है तू ,तुझे 
उर्वशी कहूं या वीनस सवाल होता है !
रजनीगंधा भी महक तुझसे चुराती है
दिल यूंही नहीं तुझपे निहाल होता है !
मौज में आया हुआ समंदर है तू तो
तुझे देख  आइना भी बेहाल होता है !
तुझे  देखा न करे तो क्या करे कोई
तेरा तब्बसुम आरजूऐ विसाल होता है !
ढूंढें नहीं मिलते लफ्ज़ तेरी तारीफ़ में
रु-ब-रु फीका चाँद का जमाल होता है !

Friday, October 11, 2013

कोई सरे आम लूट कर जाता है
वह  बुलाने से भी नहीं आता है !
दुश्मनी नसीब बन कर रह गई
अब मुहब्बतें भी कौन निभाता है !
इक गर्द सी फैली हुई है चारों सू
यह आंधियां भी कौन चलाता है !
वही मुद्दई है गवाह है मुंसिफ भी
अपना फैसला खुद ही सुनाता है !
यह खुशियाँ तो कर्ज़ हैं मुझ पर
वह खुशियों को बेमोल लुटाता है !
गिरा देते हैं आँख से सब ही तो
आंसुओं को भी  कौन सजाता है !
पलटकर के देखा भी नहीं उस ने
अब किसके गम कौन  उठाता है !
अब नहीं लौटेगा वह तो मौसम है
क्यों नाहक उसको तू बुलाता है !
आवारा बादल की तरह से हूँ मैं
जो आता है आकर चला जाता है !