Saturday, February 18, 2017

उनके पास जाने का बहाना नहींं मिला
प्यार को नापने का पैमाना नहींं मिला
कितने ही पागल हो गए जुनूने इश्क़ में
किसी को भी मगर हरजाना नहींं मिला
मुहब्बत तो हमारे भी दिल मेंं बसी थी
हर वक्त मगर समा सुहाना नहींं मिला
मुहब्बत का दम भरते तो हजारों मिले
हद से गुजरा कोई दिवाना नही मिला
जिंदगी का मौत से बना है सिलसिला
आबे हयात का उसे खजाना नहींं मिला
जगमगा उठता है ओस मे नहाकर फूल
हमको तो इसका भी बहाना नहींं मिला
सिक्का खोटा था कोने में ही पड़ा रहा
उसको कभी उसका घराना नही मिला
मिली कामयाबी मगर खुशी नही मिली
मुझको रहमतों का नज़राना नहींं मिला 
मैंने उसको अपना जिगर दे दिया
उसने गम मुझे इस कदर दे दिया
मेरा जिगर छलनी करने के वास्ते
मेरे हाथ मेंं अपना खंजर दे दिया
उसका मुकद्दर संवारने के लिए
 मैंने उसे अपना दस्ते हुनर दे दिया
छांह भी मयस्सर न होसकी कभी
 सूखी शाखों का मुझे शज़र दे दिया
आसूं तक अपना चलन भूल गए
मुझको ऐसा जख्मे जिगर दे दिया
अपनी बेबाकी से ड़र लगता है
दिल की मनमानी से ड़र लगता है
जिंदगी तुझसे शिकवा नहींं कोई
मौत की दावेदारी से ड़र लगता है
मुद्दत बाद मिले हैंं फुरसत से हम
वक्त की मेहरबानी से ड़र लगता है
कईं पागल हो गए जुनूने इश्क़ में
इश्क़ की वफादारी से ड़र लगता है
मैं अपनी रजा भी न बता पाया
मुझे अपनी खुद्दारी से ड़र लगता है
मेरी अमानत संभाल कर रखना
 मुझको निगहबानी से ड़र लगता है
ख्वाहिशें ही बांझ रह गई सारी
अब आंगन खाली से ड़र लगता है
बेबाकी - साफ कहना
निगहबानी - देखरेख