एक अज़नबी को मैंने अपना कह दिया
गज़ब उस पर यह उसे खुदा कह दिया।
यह मेरा दिल जिस से हवाएँ महकती हैं
अपना दिल मैंने उसका हुआ कह दिया।
मय पिए रक़ीब के साथ मिला मुझे शाम
मैंने दूर से ही उसे अलविदा कह दिया।
बताओ दिल में रहते हैं किस तरह से
कोई सामने आया मरहबा कह दिया।
पूछा कि शबे मह में क्या बुराई है बता
उसने चाँद को अहले ज़फ़ा कह दिया।
दिल लगा कर आ गया तन्हा बैठना मुझे
मेरी आदतों को उस ने अदा कह दिया।
मुद्दत से मेरी रूह पर बोझ यह रहा
मैंने बहुत सोचा मैंने क्या कह दिया।
जाने कब बुलावा आये जाना पड़ जाए
मैंने मौत को अपना आशना कह दिया।
मरहबा -स्वागतम , शबे मह -चांदनी रात
अहले ज़फ़ा -अत्याचारी ,आशना -प्रिय
गज़ब उस पर यह उसे खुदा कह दिया।
यह मेरा दिल जिस से हवाएँ महकती हैं
अपना दिल मैंने उसका हुआ कह दिया।
मय पिए रक़ीब के साथ मिला मुझे शाम
मैंने दूर से ही उसे अलविदा कह दिया।
बताओ दिल में रहते हैं किस तरह से
कोई सामने आया मरहबा कह दिया।
पूछा कि शबे मह में क्या बुराई है बता
उसने चाँद को अहले ज़फ़ा कह दिया।
दिल लगा कर आ गया तन्हा बैठना मुझे
मेरी आदतों को उस ने अदा कह दिया।
मुद्दत से मेरी रूह पर बोझ यह रहा
मैंने बहुत सोचा मैंने क्या कह दिया।
जाने कब बुलावा आये जाना पड़ जाए
मैंने मौत को अपना आशना कह दिया।
मरहबा -स्वागतम , शबे मह -चांदनी रात
अहले ज़फ़ा -अत्याचारी ,आशना -प्रिय