कोई बात अपनी पूरी कर गया।
किसी सरहद ने उसे रोका नहीं
सफ़र अपना वो तय कर गया।
नाम उसका दिल से मिट गया
गुम हुए जिसे वक़्त गुज़र गया।
सिर्फ एक बार हुई मुझसे गल्ती
वह हर बार गलतियाँ ही कर गया।
आँखों के सहरा में नमी सी लिए
मेरी रूह तक तर बतर कर गया।
शाम से सुबह कटी मुश्किल से
ख्वाब वो सारे सिफ़र कर गया।
मुहब्बत करने वाले कम नहीं होंगे
एक पागल यह खबर कर गया।
जीने की तमन्ना फिर जग उठी
कोई दिल दिल में ऐसे उतर गया।
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