Wednesday, May 4, 2011

तुम्हारी मुस्कान बहुत लाजवाब है
ओंठों पर खिलता हुआ गुलाब है।
अनेक सवालों का एक ही जवाब है
खुली हुई जैसे वह एक किताब है।
उमंग है या कोई है नया जश्न
ख़ुशी सारी की सारी बेनकाब है ।
इस हंसी पर वारी वारी जाऊं मैं
हंसी नहीं है यह नशीली शराब है।
देख कर के दिल भरता नहीं कभी
जो भी है यह बहुत ही नायाब है।

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