उस उम्र में कभी फुरसत नहीं मिली
इस उम्र में हमको चाहत नहीं मिली।
सब वक़्त और किस्मत की बात है
वक़्त रहते हमें किस्मत नहीं मिली।
सबको मिल जाती है कभी भी कहीं भी
मुझे अपनी ही बस उल्फत नहीं मिली।
मुश्किलें सारी शायद आसान हो जाती
कभी मुझको अपनी जरूरत नहीं मिली।
आँखों में ढेर सारा समंदर ही भरा रहा
हिस्से की मेरे धूप खुबसूरत नहीं मिली।
अब कौन अपना कहने सुनने वाला है
वक़्त रहते ही कभी मुहलत नहीं मिली।
Wednesday, May 4, 2011
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