पत्थरों का खाक बनके उड़ना अभी बाकी है
फलक का टूट कर बिखरना अभी बाकी है।
रेत में तब्दील हो रही हैं नदियाँ सारी
आदमी का पत्थर में बदलना अभी बाकी है।
जिंदगी पर तो बस नहीं चल सका कोई
मौत को ही परेशान करना अभी बाकी है।
नाम सुनते रहे चीजों का देखी न कभी
दिल के कोने में बचपना अभी बाकी है।
कौन खुश है और कौन ना खुश है यहाँ
ठिकानो का हिसाब रखना अभी बाकी है।
अपने सूखे हुए जख्म सबने दिखा दिए
मुझे अपना हाल कहना अभी बाकी है।
पाँव रखना होशियारी से सम्भाल कर
दर्द पुराने जख्म का सहना अभी बाकी है।
मुकदमे का फैसला हो भी कैसे जाता
लाख का खोके में बदलना अभी बाकी है।
दिलों की धडकनों को खोज है लफ्जों की
ग़ज़ल का कहना सुनना अभी बाकी है।
Friday, May 6, 2011
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