Monday, April 25, 2011

फलसफा जिंदगी का बदलता रहा
मैं गम कभी खुशी से बहलता रहा।
जाने खुशबु कहाँ से आकर बस गई
संग तुम्हारे जिस्म मेरा महकता रहा।
दर्द थमा रहा जब तक रहे पास तुम
बस तुम्हे देखकर दिल धडकता रहा।
बरसों अनजाना रहा यारों के बीच
मैं तपती धूप में मगर चलता रहा।
जिस जगह दुःख मचलता है बहुत
सुख भी सदा वहीँ पर बरसता रहा।

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