Wednesday, April 20, 2011

अकेला ही मैं कारवां बन गया
किसी के दिल का जहाँ बन गया।
अब न रहा दिल में भी गुबार
पत्ता पत्ता मेहरबां बन गया।
मुतमईन है एक शज़र बहुत ही
छाहं देकर वो सायबां बन गया।
भाई को छत देने की जुगत में
सहन में नया आसमां बन गया।
टुकड़ों टुकड़ों में बंट गई दुनिया
ठिकाना सबका आसमां बन गया।
जिंदगी अब नहीं रही महफूज़
सफ़र कितना रायगां बन गया।
बला ज़ब से गुजर गई सर से
चप्पा चप्पा गुलिस्तां बन गया।
रायगां - बेकार

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