जलती हुई शमां के परवाने बहुत हैं
इक हसीन रात के अफ़साने बहुत हैं।
तन्हां न छोड़ना अपने चाँद को कहीं
शब चांदनी में चाँद के दीवाने बहुत हैं।
मिटा लेंगे तलब जब भी प्यास लगेगी
हमारे लिएतो आँखों के पैमाने बहुत हैं।
उन को अपना मसीहा बना तो लिया
मगर वो अपने आपमें सियाने बहुत हैं।
प्यास उजालों की बढ़ रही है, हर घड़ी
हमको तो अभी चराग़ जलाने बहुत हैं।
एक ही जगह दिल अब लगे भी कैसे
रहने को अब दिल के ठिकाने बहुत हैं।
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