… तेरी खुशबु …
उधर से आई है या इधर से आई है
मनचली है जाने किधर से आई है।
सारे ही फ़ूल महक़ रहे होंगे वहां
खुशबु ये खुशबु के नगर से आई है।
फ़िर ख़्याल आया जानी पहचानी है
खुशबु तेरी है तेरे ही दर से आई है।
चाँद ने भी तो कल देखा था तुझको
या खुशबु उतर कर ऊपर से आई है।
या हम तुम दोनों कल मिले थे जहां
खुशबु उड़कर उस ही डगर से आई है।
दिल ने कहा परेशां मत हो मेरे दोस्त
मैं जानता हूँ खुशबु जिधर से आई है
साँसों के ज़रिये दिल में समा गई थी
ये तेरी खुशबु मेरे ही अंदर से आई है।
उधर से आई है या इधर से आई है
मनचली है जाने किधर से आई है।
सारे ही फ़ूल महक़ रहे होंगे वहां
खुशबु ये खुशबु के नगर से आई है।
फ़िर ख़्याल आया जानी पहचानी है
खुशबु तेरी है तेरे ही दर से आई है।
चाँद ने भी तो कल देखा था तुझको
या खुशबु उतर कर ऊपर से आई है।
या हम तुम दोनों कल मिले थे जहां
खुशबु उड़कर उस ही डगर से आई है।
दिल ने कहा परेशां मत हो मेरे दोस्त
मैं जानता हूँ खुशबु जिधर से आई है
साँसों के ज़रिये दिल में समा गई थी
ये तेरी खुशबु मेरे ही अंदर से आई है।
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