Tuesday, July 21, 2015

चेहरा तो सब ने देखा मगर दिल नहीं देखा 
आइना भी हमने इतना  क़ाबिल नहीं देखा।

झुलस गए इश्क़ की तपती तेज़ हवाओं में 
दिल को कभी इतना भी ग़ाफ़िल नहीं देखा। 

तन्हाईयाँ भी  हमको  रास  आ गई इतनी 
मुद्दत से हमने चराग़े महफ़िल नहीं देखा। 

वो खुशबु तेरी जिसने क़त्ल किया था मुझे 
उस महक का फिर कोई क़ातिल नहीं देखा। 

 मुहब्बतें तो दिलों में पहले भी  रहती थी 
ज़िंदगी को इतना भी मुश्किल नहीं देखा। 

आईने से भी मुलाक़ात अक्सर ही होती है  
उस ने कभी भी मेरा दाग़े -दिल नहीं देखा।

तुम खुशनसीब हो  तुम्हें सलाम है बहुत 
कोई शख़्स इतना  मुक़म्मल  नहीं देखा।  

खाली पीली बस मुंह ही  कड़वा होता है 
पीने से भी कभी कुछ हासिल नहीं देखा । 




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