दिल में ज़ुनून था मैं भी मज़बूर था
आँखों में मेरी उनके चेहरे का नूर था।
मैं तो आबाद ही आवारगी में हुआ था
उन को भी इस बात पर बड़ा ग़ुरूर था।
सुरूर तो आसमां से भी बरस रहा था
चाँद भी अपनी चांदनी पर मग़रूर था।
देखने का अंदाज़ उन का भी नया था
उनकी निगाहों में भी इश्क़िया नूर था।
निगाहों में भी इश्क़ का ज़लज़ला था
साहिल तो सामने ही था मगर दूर था।
मैक़दे का पता ही तो सब पूछ रहे थे
हवाओं में बिखरा नशे का फितूर था।
उसके पास प्यास बुझाने का हुनर था
उसको अपनी लायकी पे बड़ा ग़ुरूर था।
नाहक़ ही बदनाम हो गया था वह तो
दिल को संभालना ही उसका क़ुसूर था।
मेरा ही ज़िक्र उस की ग़ज़ल में भी था
लफ्ज़ आस पास थे मगर वह दूर था।
आँखों में मेरी उनके चेहरे का नूर था।
मैं तो आबाद ही आवारगी में हुआ था
उन को भी इस बात पर बड़ा ग़ुरूर था।
सुरूर तो आसमां से भी बरस रहा था
चाँद भी अपनी चांदनी पर मग़रूर था।
देखने का अंदाज़ उन का भी नया था
उनकी निगाहों में भी इश्क़िया नूर था।
निगाहों में भी इश्क़ का ज़लज़ला था
साहिल तो सामने ही था मगर दूर था।
मैक़दे का पता ही तो सब पूछ रहे थे
हवाओं में बिखरा नशे का फितूर था।
उसके पास प्यास बुझाने का हुनर था
उसको अपनी लायकी पे बड़ा ग़ुरूर था।
नाहक़ ही बदनाम हो गया था वह तो
दिल को संभालना ही उसका क़ुसूर था।
मेरा ही ज़िक्र उस की ग़ज़ल में भी था
लफ्ज़ आस पास थे मगर वह दूर था।
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