मुश्क़िल से मिली है फ़ुरसत तेरे पास आने की
ज़रूरत नहीं रही मुझे अब किसी भी बहाने की।
हर चन्द मेरी ज़ान को तो रब्त तुझ ही से था
तमन्ना भी बहुत थी तुझे गले से लगाने की।
हाँ तुमने ही तो बेवफ़ा कहा था मुझ को तब
ताक़त नहीं थी तब किसी के नाज़ उठाने की।
देखना क़िस्मत अब खुद ब खुद संवर जायेगी
मुहब्बत ने भी ज़िद की है अब तो निभाने की।
बदी की उसने जिससे हमने की थी नेकियां
फिर ज़िद भी उसी की थी हमें आज़माने की।
ग़नीमत है कि ब उम्मीद ही गुज़र रही है अब
बेताबी है दिल में बस ख़ुदी को भूल जाने की।
रक्खा है पैमाना ऐ शराब तो कब से सामने
आँखों से पीने की तमन्ना है अब दिवाने की।
क़ैदे हयात में मौत आ जाए इस से पहले ही
हसरत है दिल में ग़मों से भी निज़ात पाने की।
ज़रूरत नहीं रही मुझे अब किसी भी बहाने की।
हर चन्द मेरी ज़ान को तो रब्त तुझ ही से था
तमन्ना भी बहुत थी तुझे गले से लगाने की।
हाँ तुमने ही तो बेवफ़ा कहा था मुझ को तब
ताक़त नहीं थी तब किसी के नाज़ उठाने की।
देखना क़िस्मत अब खुद ब खुद संवर जायेगी
मुहब्बत ने भी ज़िद की है अब तो निभाने की।
बदी की उसने जिससे हमने की थी नेकियां
फिर ज़िद भी उसी की थी हमें आज़माने की।
ग़नीमत है कि ब उम्मीद ही गुज़र रही है अब
बेताबी है दिल में बस ख़ुदी को भूल जाने की।
रक्खा है पैमाना ऐ शराब तो कब से सामने
आँखों से पीने की तमन्ना है अब दिवाने की।
क़ैदे हयात में मौत आ जाए इस से पहले ही
हसरत है दिल में ग़मों से भी निज़ात पाने की।
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