सूरज ने अंधेरों की ख़िलाफ़त की थी
चाँद ने अंधेरों की हिमायत की थी।
वज़ूद अपना अपना क़ायम रखने को
दोनों ने अपने ढ़ंग से सियासत की थी।
वक़्त से भी देखा न गया था वह मंज़र
उसने दूर रहने की उन्हें हिदायत की थी।
ज़रा से ज़लज़ले से ही बिखर गई थी वो
हक़ीक़त उसकी पुरानी इमारत की थी।
इश्क़ को मैंने कभी क़मतर नहीं समझा
मैंने तो सदा इश्क़ की ज़ियारत की थी।
कोई तो तअर्रूफ़ मेरा उस से करा देता
मैंने भी तो सदा उसकी इबादत की थी।
मिसाल बनकर ज़िया जितना वो ज़िया
नाहक़ ही सबने उस से बग़ावत की थी।
हर वक़्त ही झेलीं हैं परेशानियां हमने
ज़िंदगी ने तो सदा हम पे इनायत की थी।
चाँद ने अंधेरों की हिमायत की थी।
वज़ूद अपना अपना क़ायम रखने को
दोनों ने अपने ढ़ंग से सियासत की थी।
वक़्त से भी देखा न गया था वह मंज़र
उसने दूर रहने की उन्हें हिदायत की थी।
ज़रा से ज़लज़ले से ही बिखर गई थी वो
हक़ीक़त उसकी पुरानी इमारत की थी।
इश्क़ को मैंने कभी क़मतर नहीं समझा
मैंने तो सदा इश्क़ की ज़ियारत की थी।
कोई तो तअर्रूफ़ मेरा उस से करा देता
मैंने भी तो सदा उसकी इबादत की थी।
मिसाल बनकर ज़िया जितना वो ज़िया
नाहक़ ही सबने उस से बग़ावत की थी।
हर वक़्त ही झेलीं हैं परेशानियां हमने
ज़िंदगी ने तो सदा हम पे इनायत की थी।
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