कभी मीरा है  तो वो  कभी क़बीर है 
दिल तो मुहब्बत की एक ज़ागीर है।
उसके बाद वो किसी का न हो सका
हो गया जबसे किसी राँझा की हीर है।
दिल की क़ीमत का ही अंदाज़ न हुआ
या तो वो फ़क़ीर है या सबसे अमीर है।
दौलत रखता है इतनी पास अपने वो
फ़क़ीर होकर भी वह नहीं फ़क़ीर है।
कितना ही कोई उसे कहता रहे गरीब
ख़ुद की नज़र में तो वो सबसे अमीर है।
इश्क़ में पागल हो जाता है कभी इतना
टूट कर बिखरना ही उस की तक़दीर है।
दिल तो मुहब्बत की एक ज़ागीर है।
उसके बाद वो किसी का न हो सका
हो गया जबसे किसी राँझा की हीर है।
दिल की क़ीमत का ही अंदाज़ न हुआ
या तो वो फ़क़ीर है या सबसे अमीर है।
दौलत रखता है इतनी पास अपने वो
फ़क़ीर होकर भी वह नहीं फ़क़ीर है।
कितना ही कोई उसे कहता रहे गरीब
ख़ुद की नज़र में तो वो सबसे अमीर है।
इश्क़ में पागल हो जाता है कभी इतना
टूट कर बिखरना ही उस की तक़दीर है।

No comments:
Post a Comment