चेहरा उस का चाँद का ज़वाब है
सांसों में भी महकता गुलाब है।
लफ़्ज़ नहीं हैं, तारीफ़ में उसकी
सरापा हुस्न की वो तो क़िताब है।
रुख़सार पर बिखरी काली ज़ुल्फ़ें
चेहरे पे जैसे कोई जादुई नक़ाब है।
मन की बातें भी कहती है आँखों से
उसकी ख़ामोशी ही उसका जवाब है।
हाव भाव में,बच्चों की सी शरारत
सादगी भी उसमे, बड़ी बेहिसाब है।
अदाएं भी हैं उसमे और वफ़ा भी है
कोई अज़ब सी शय उसका शबाब है।
दीवाना बना दे या कि पागल कर दे
हुस्नो इश्क़ की वह तो ऐसी शराब है।
सांसों में भी महकता गुलाब है।
लफ़्ज़ नहीं हैं, तारीफ़ में उसकी
सरापा हुस्न की वो तो क़िताब है।
रुख़सार पर बिखरी काली ज़ुल्फ़ें
चेहरे पे जैसे कोई जादुई नक़ाब है।
मन की बातें भी कहती है आँखों से
उसकी ख़ामोशी ही उसका जवाब है।
हाव भाव में,बच्चों की सी शरारत
सादगी भी उसमे, बड़ी बेहिसाब है।
अदाएं भी हैं उसमे और वफ़ा भी है
कोई अज़ब सी शय उसका शबाब है।
दीवाना बना दे या कि पागल कर दे
हुस्नो इश्क़ की वह तो ऐसी शराब है।
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