तेरा ही अक़्स नज़र मुझे इधर उधर आता है
मेरी गली में दिन में भी चाँद नज़र आता है।
तू दयारे -हुस्न है और ऊँची है तेरी फ़सील
चाँद भी तेरी ही छाँह में करके बसर आता है।
दूर से ही चमकता है ज़माले- हुस्न ये तेरा
आँखों के ज़रिये यह दिल में उतर आता है।
तुझ को बे शऊर कहूँ या कहूँ मैं शऊरमंद
हर दिल में अक़्स तेरा ही तो नज़र आता है।
मत पूछ कैसी है मेरी ये हालते -दीवानगी
मुझे तुझ में ही अपना ख़ुदा नज़र आता है।
ज़िंदा रखता है मेरा सिलसिलाए शौक़ मुझे
उसके साथ रहना मुझको उम्र भर आता है।
दयारे हुस्न-- -हुस्न का नगर
फ़सील ---- दीवार
मेरी गली में दिन में भी चाँद नज़र आता है।
तू दयारे -हुस्न है और ऊँची है तेरी फ़सील
चाँद भी तेरी ही छाँह में करके बसर आता है।
दूर से ही चमकता है ज़माले- हुस्न ये तेरा
आँखों के ज़रिये यह दिल में उतर आता है।
तुझ को बे शऊर कहूँ या कहूँ मैं शऊरमंद
हर दिल में अक़्स तेरा ही तो नज़र आता है।
मत पूछ कैसी है मेरी ये हालते -दीवानगी
मुझे तुझ में ही अपना ख़ुदा नज़र आता है।
ज़िंदा रखता है मेरा सिलसिलाए शौक़ मुझे
उसके साथ रहना मुझको उम्र भर आता है।
दयारे हुस्न-- -हुस्न का नगर
फ़सील ---- दीवार
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