सालों दर्द सहा अब आदत हो गई
दर्द ही अब दिल की दौलत हो गई।
बारिश का मज़ा लेते थे भीग कर
अब न भीगने की हिदायत हो गई।
भला है या बुरा है,ख्याल उसी का है
दिल को उसकी इतनी चाहत हो गई।
मुहब्बत में इंतिहा की बात क्या कहें
दर्द कहीं उठा, कहीं क़यामत हो गई।
कुछ दूर मिलकर के साथ चले जब
ख़्वाब नए देखने की रिवायत हो गई।
बांचने जो बैठे रिश्तों की क़िताब हम
उन को इसकी भी शिक़ायत हो गई।
लिखकर के नाम ख़ुदा का क़ाग़ज़ पर
उन को लगा जैसे कि इबादत हो गई।
दर्द ही अब दिल की दौलत हो गई।
बारिश का मज़ा लेते थे भीग कर
अब न भीगने की हिदायत हो गई।
भला है या बुरा है,ख्याल उसी का है
दिल को उसकी इतनी चाहत हो गई।
मुहब्बत में इंतिहा की बात क्या कहें
दर्द कहीं उठा, कहीं क़यामत हो गई।
कुछ दूर मिलकर के साथ चले जब
ख़्वाब नए देखने की रिवायत हो गई।
बांचने जो बैठे रिश्तों की क़िताब हम
उन को इसकी भी शिक़ायत हो गई।
लिखकर के नाम ख़ुदा का क़ाग़ज़ पर
उन को लगा जैसे कि इबादत हो गई।
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