Wednesday, March 23, 2011

हर रोज़ नयाफूल खिलाती है जिंदगी
हर रोज़ नई खुशबू उड़ाती है जिंदगी।
बरसात कभी सिर्फ गमों की होती है
खुशियों में कभी नहाती है जिंदगी।
रंग-रेज़ की उसे जरूरत नहीं पड़ती
हर रंग में ही रंग जाती है जिंदगी।
गिरगिट भी इतने रंग नहीं बदलता
रंग जितने बदल जाती है जिंदगी।
रंगो का तालमेल बिगड़ जाये अगर
एक दाग बन कर रह जाती है जिंदगी।
हर रोज़ फिर एक नया जश्न होता है
उस के रंग में जब रंग जाती है जिंदगी।

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