रोमांच अपने शबाब पर था -
निखार पूरा गुलाब पर था।
मेरे ओंठो पर सजा तबस्सुम-
महका उसके जवाब पर था।
बहक गया मैं करता भी क्या-
नशा अपने शबाब पर था।
मुझे होश में रखने का भी-
जिम्मा सारा शराब का था।
आधी रात भी चाँद न दिखा-
वहम अपने ही ख्वाब पर था।
मुश्किल था काम का करना-
ध्यान तो सारा दबाब पर था।
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