खरोंचों पे खुशबू वाला मरहम लगा दिया
खुश करने को एक नया करतब दिखा दिया।
किताबें खोल कर के वो बैठ गये सामने
सवालों का उन्होंने ज़मघट लगा दिया।
शौके जुनुं उनका मरने को हुआ ज़ब
नये किस्म का उन्होंने हल्ला मचा दिया।
फैसला होने से पहले मिल लेते उससे हम
ऐन वक़्त पर हमे किस्सा यह सुना दिया।
दरीचे को झट से बंद कर लिया कस कर
बंद करते करते चेहरा मगर दिखा दिया।
वो लम्हें खुबसूरत तितलियों से उड़ गये
जिस्म को अपने हमने पत्थर बना दिया।
Monday, March 7, 2011
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