Thursday, March 31, 2011
शूल से नहीं हमें फूल से डर लगता है -उसके मुरझाने के ख्याल से डर लगता है। दुश्मन की बातों की परवाह नहीं करते -भाई के बस एक त्रिशूल से डर लगता है। घर से तो निकले थे बड़े ही शौक से- सड़क को पार करते हुए डर लगता है। पुराने घर में रह रहे थे दबे ढके हुए- नये मकान में जाते हुए डर लगता है। एक क़दम भी नहीं चलता था मेरे बिना- उसको शहर भेजते हुए डर लगता है।
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