उसकी आदत न गई अब तक भी तरसाने की
घर आँगन बाट जोह रहे हैं सब उसके आने की।
अब की होली में गुंजिया लाऊंगा बीकानेर की
खबर इस तरह से दी थी उसने अपने आने की।
गुलाल खूब लगाऊंगा गुलाबी गालों पर तेरे
हुडदंग मचेगा जमके होली होगी बरसाने की।
भीगा भीगा अंग होगा रंगो से रंगी हुई अंगिया
कितनी अलहड़ रुत होगी वो तेरे शर्माने की।
ढोल मंजीरे बज रहे हैं चोपालो पर फगुआ के
सब याद दिला रहे हैं मुझको मेरे दीवाने की।
Wednesday, March 23, 2011
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