Saturday, March 12, 2011

ज़लज़ले के बाद का मंज़र- जापान

हर जगह दर्द भरी ख़ामोशी पसरी है
दिल में गज़ब की नाउम्मीदी पसरी है।
आंसुओं की सुनामी रुक नहीं रही
एक अज़ब तरह की उदासी पसरी है।
जलजले की ज़द में सब खत्म हो गया
चारों और तबाही ही तबाही पसरी है।
भूकम्प तो झेल लिया लहरों ने मिटा दिया
आँखों में सबके बहुत वीरानी पसरी है।
दर्द मिला ऐसा सब कुछ खत्म हो गया
चेहरों पर हर एक के मातमी पसरी है।
बेबस बना हुआ हर कोई देख रहा है
दिल में सबके डरावनी बैचनी पसरी है।

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