ख़ुशी को किसी की नज़र लग गई
या ग़मों को मेरी ही उम्र लग गई।
दिन दो चार मांगे थे जीने के लिए
मौत को पहले ही ख़बर लग गई।
बेहद ही उदास थे रात में लोग हम
आँखे तर थी फिर भी तो लग गई।
यह पूछो वक़्त से शायद वह बताये
आग़ तो लगनी थी किधर लग गई।
दर्द छिपाकर रक्खा था दिल में तेरा
इसकी भी दुनिया को खबर लग गई।
ज़िन्दगी भी वफ़ा न कर सकी कभी
मौत की उसको भी नज़र लग गई।
एकदम चूम लिए होंठ मैंने भी तेरे
मुझको भी तो हवाए शहर लग गई।
या ग़मों को मेरी ही उम्र लग गई।
दिन दो चार मांगे थे जीने के लिए
मौत को पहले ही ख़बर लग गई।
बेहद ही उदास थे रात में लोग हम
आँखे तर थी फिर भी तो लग गई।
यह पूछो वक़्त से शायद वह बताये
आग़ तो लगनी थी किधर लग गई।
दर्द छिपाकर रक्खा था दिल में तेरा
इसकी भी दुनिया को खबर लग गई।
ज़िन्दगी भी वफ़ा न कर सकी कभी
मौत की उसको भी नज़र लग गई।
एकदम चूम लिए होंठ मैंने भी तेरे
मुझको भी तो हवाए शहर लग गई।
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