उनकी आँखों में मेरे इश्क़ का नूर था
मेरी आँखों में भी गज़ब का सुरूर था।
ख़ुदा को भी जाने यह क्या मंज़ूर था
चटख गया वह हीरा जो मशहूर था।
भले ही मुफ़लिसी में पैदा हुआ था मैं
दिल मगर अपना यह कोहिनूर था।
वह जिनसे उम्मीदें लगाये बैठा था मैं
शहर उनका अब तो बहुत ही दूर था।
ज़ख्म ताज़े थे मरहम भी पास न था
वक़्त का भी शायद यही दस्तूर था।
मैक़दे की सफ़ में बैठा था मैं भी अब
इश्क़ का सौदा था मैं भी मज़बूर था।
सफ़ --पंक्ति
मेरी आँखों में भी गज़ब का सुरूर था।
ख़ुदा को भी जाने यह क्या मंज़ूर था
चटख गया वह हीरा जो मशहूर था।
भले ही मुफ़लिसी में पैदा हुआ था मैं
दिल मगर अपना यह कोहिनूर था।
वह जिनसे उम्मीदें लगाये बैठा था मैं
शहर उनका अब तो बहुत ही दूर था।
ज़ख्म ताज़े थे मरहम भी पास न था
वक़्त का भी शायद यही दस्तूर था।
मैक़दे की सफ़ में बैठा था मैं भी अब
इश्क़ का सौदा था मैं भी मज़बूर था।
सफ़ --पंक्ति
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