नए पते पर पुरानी चिठ्ठी मिली
पता मेरा सब से ही पूछती मिली।
मुद्दत बाद चिठ्ठी को देख कर
दिल को एक तसल्ली सी मिली।
वक़्त की रौंदी हुई ज़मीं पर जैसे
मुहब्बत की कोई हवेली मिली।
याद आ गया महका हुआ बाग़
हर तह में ख़ुश्बू वो लिपटी मिली।
एक बार नहीं हज़ार बार उसे पढ़ा
ज़िंदगी उन पलों में सिमटी मिली।
भुला दिया बेरहम वक़्त ने जिसे
खबर आज उस आशिक़ी की मिली।
पता मेरा सब से ही पूछती मिली।
मुद्दत बाद चिठ्ठी को देख कर
दिल को एक तसल्ली सी मिली।
वक़्त की रौंदी हुई ज़मीं पर जैसे
मुहब्बत की कोई हवेली मिली।
याद आ गया महका हुआ बाग़
हर तह में ख़ुश्बू वो लिपटी मिली।
एक बार नहीं हज़ार बार उसे पढ़ा
ज़िंदगी उन पलों में सिमटी मिली।
भुला दिया बेरहम वक़्त ने जिसे
खबर आज उस आशिक़ी की मिली।
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