Thursday, May 23, 2013

ख़ुशबुओं से घर मेरा भर जाने दो
जी भर कर मुझको मुस्कराने दो !
धूप मायूस होकर के लौट जाएगी
मुझे बालों को छत पर सुखाने दो !
महफ़िल सजाई है दोस्तों ने मेरे
मुझ को भी थोडा तो इतराने दो !
एक साल के बाद आया है सावन
झूम कर के इसको बरस जाने दो !
सालों के बाद ही आता है बुढ़ापा
इसको भी कुछ जश्न मनाने दो !
कोई तस्वीर या कोई अफसाना
कभी तो मुझ को भी बनाने दो !

No comments:

Post a Comment