जब तक बड़ों का सरमाया है
हर तरफ़ रहमतों का साया है !
जब तक दुआएं उनकी साथ हैं
दिल तब तक नहीं घबराया है !
क़िस्मत से ज़्यादा नहीं मिलता
वक़्त ने हमको यह सिखलाया है !
उम्र गुज़र गई यही सोचते हुए
कौन अपना है, कौन पराया है !
यक़ीन यह है वह बेवफ़ा नहीं है
दिल में ख्याल क्यूँ फिर आया है !
सर्दी गर्मी बर्दाश्त नहीं होती अब
बन गई जाने कैसी यह काया है !
थकान का तो नामो निशान नहीं
जब से पयाम उन का आया है !
तेरे हाथ से बनी चाय का स्वाद
मुझे तुझ तलक़ खींच लाया है !
हर तरफ़ रहमतों का साया है !
जब तक दुआएं उनकी साथ हैं
दिल तब तक नहीं घबराया है !
क़िस्मत से ज़्यादा नहीं मिलता
वक़्त ने हमको यह सिखलाया है !
उम्र गुज़र गई यही सोचते हुए
कौन अपना है, कौन पराया है !
यक़ीन यह है वह बेवफ़ा नहीं है
दिल में ख्याल क्यूँ फिर आया है !
सर्दी गर्मी बर्दाश्त नहीं होती अब
बन गई जाने कैसी यह काया है !
थकान का तो नामो निशान नहीं
जब से पयाम उन का आया है !
तेरे हाथ से बनी चाय का स्वाद
मुझे तुझ तलक़ खींच लाया है !
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