मौत आये तो बड़े शौक़ से आये
मन्नत है मुझे शान से ले जाए !
गमे हयात की मंजिल, पता नहीं
ख़ुदा मुझे हर मुसीबत से बचाए !
मुझे तौफ़ीक़ अता कर मालिक
यह ज़र्रा उठके आसमां हो जाए !
पाकीज़गी भी दिल में बनी रहे
हर नज़र हैरतज़दा हो जाए !
यह ज़िंदगी तेरी ही मर्ज़ी से है
तेरी ही शान में अदा हो जाए !
मन्नत है मुझे शान से ले जाए !
गमे हयात की मंजिल, पता नहीं
ख़ुदा मुझे हर मुसीबत से बचाए !
मुझे तौफ़ीक़ अता कर मालिक
यह ज़र्रा उठके आसमां हो जाए !
पाकीज़गी भी दिल में बनी रहे
हर नज़र हैरतज़दा हो जाए !
यह ज़िंदगी तेरी ही मर्ज़ी से है
तेरी ही शान में अदा हो जाए !
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