Tuesday, May 28, 2013

हर किसी को अपना वास्ता मत देना
नसीब जाग उठे  तो ख़ुदा  मत देना  !
 मज़ाक  बहुत  बना डालेगी दुनिया
दिल का अपने कभी रास्ता मत देना !
यहाँ किसी को भी तेरी परवाह नहीं है
हर किसी  को अपना पता मत  देना  !
बिगड़ जाएगी तेरे ज़ख्मों  की सूरत
बस घाव किसी को दिखा मत देना  !
दर्द के  नगर  पर नगर बस जायेंगे
ज़िन्दा सपनों को दफना मत देना  !
एक दरिया बना है आग का वह तो
उस को कभीभी तुम हवा मत देना  !
बुरा मान जायेगा  बहुत  जल्दी वह
उसको कभी भी  मश्वरा  मत देना  !
वफ़ा नहीं कर सको तो मत  करना
मगर किसी को भी दगा मत देना  ! 

Sunday, May 26, 2013

जब  तक  बड़ों का सरमाया है
हर तरफ़  रहमतों का  साया है  !
जब तक दुआएं  उनकी साथ हैं
दिल तब तक  नहीं  घबराया है !
क़िस्मत से ज़्यादा नहीं मिलता
वक़्त ने हमको यह सिखलाया है  !
उम्र  गुज़र गई  यही  सोचते हुए
कौन  अपना  है, कौन पराया  है  !
यक़ीन यह है वह बेवफ़ा  नहीं है
 दिल में ख्याल क्यूँ फिर आया है !
सर्दी गर्मी बर्दाश्त नहीं होती अब
बन गई जाने कैसी यह काया है !
थकान का तो नामो निशान नहीं
जब से  पयाम  उन का आया है  !
तेरे हाथ से बनी चाय का स्वाद
मुझे तुझ तलक़  खींच लाया  है  !
तुझसे खुशबु लेकर के गुलाब महकता है
तेरे नूर से फ़लक़ पर सूरज  चमकता  है  !
तेरी रूह की आंच से तपती है रूह  मेरी
तेरे बदन  की ताव से  चाँद पिघलता है !
ख़्वाबों सी मिली है खुबसूरती  तुझ को
दिलों की वादी में तेरा ही शोर मचता है  !
तेज़ हुआ जाता है तूफ़ान मुहब्बत  का
तुझे देख  मौसम भी सरगम बदलता है  !
बढ़ जाती हैं धडकने दिल की मेरे जब
तमाम शहर तुझको हसरत से तकता है  !

Friday, May 24, 2013

सपनों में मेरे रंग नए भरती चली गई
खुशबु तेरी बदन से लिपटती चली गई !
नर्मी फूलों की थी या मस्ती शराब की
रूह में ऐसी घुली की घुलती चली गई !
महक रही थी ग़ज़ल की तरह से तुम
बज़्म तुम्हारे हुस्न से सजती चली गई !
हिस्से में मेरे जब से घडी आई थी वह
रुत दिल में प्यार की मचलती चली गई !
वह अदा थी, दुआ थी, हवा थी क्या थी
किस्मत मेरी तब से चमकती चली गई !
मैं चाँद को छू लेने की तमन्ना लिए रहा
चांदनी आँगन में मेरे आकर बिखर गई !

Thursday, May 23, 2013

ख़ुशबुओं से घर मेरा भर जाने दो
जी भर कर मुझको मुस्कराने दो !
धूप मायूस होकर के लौट जाएगी
मुझे बालों को छत पर सुखाने दो !
महफ़िल सजाई है दोस्तों ने मेरे
मुझ को भी थोडा तो इतराने दो !
एक साल के बाद आया है सावन
झूम कर के इसको बरस जाने दो !
सालों के बाद ही आता है बुढ़ापा
इसको भी कुछ जश्न मनाने दो !
कोई तस्वीर या कोई अफसाना
कभी तो मुझ को भी बनाने दो !

Monday, May 20, 2013

पुराने रिश्तों को मज़बूती दे दो
इस माहौल को ज़िंदगी दे दो !
भोर हो जाएगी बस्ती में देखना
अंधेरो को धूप सुनहरी दे दो !
तस्वीर ख़ुद ब ख़ुद बोल उठेगी
कुछ लकीरें और गहरी दे दो !
ख़ुशबु से महकता रहेगा ज़िस्म
इक शाम अपनी संदली दे दो !
ज़रा सी ज़िंदगी है चार दिन की
ज़रा सा हौसला अफज़ाई दे दो !
ज़िंदगी मेरी भी संवर जाएगी
मुझे दोस्ती अपनी अनूठी दे दो !

Saturday, May 18, 2013

बस तुम्हारे इंतज़ार का मौसम नहीं बदला
आजा कि अभी प्यार का मौसम नहीं बदला !
गली गली तुमने वो लुटाई थी जो खुशबू
ज़हन में उस बहार का मौसम नहीं बदला !
नमी इन आँखों की कब की ख़ुश्क हो गई
इस ख़ुश्क आबशार का मौसम नहीं बदला !
शहर में सब कुछ है मगर तेरी ही कमी है
दिल की मेरी पुकार का मौसम नहीं बदला !
आह तो मेरी पहुँच गई उस पार तक उड़के
मगर कभी उस पार का मौसम नहीं बदला !
बदलाव का मौसम है सब कुछ बदल गया
दिल के हमारे यार का मौसम नहीं बदला !
आजा की पहाड़ों पे बर्फ़ अब तलक़ जमी है
वह ठंडक वह बहार का मौसम नहीं बदला !
अब ये करें, कि तोड़ लें रिश्ता ज़हान से
जब तुम्हारे ही क़रार का मौसा नहीं बदला !

Friday, May 17, 2013

मौत आये तो बड़े शौक़ से आये
मन्नत है मुझे शान से ले जाए !
गमे हयात की मंजिल, पता नहीं
ख़ुदा मुझे हर मुसीबत से बचाए !
मुझे तौफ़ीक़ अता कर मालिक
यह ज़र्रा उठके आसमां हो जाए !
पाकीज़गी भी दिल में बनी रहे
हर नज़र हैरतज़दा हो जाए !
यह ज़िंदगी तेरी ही मर्ज़ी से है
तेरी ही शान में अदा हो जाए !

Thursday, May 16, 2013

मेरे ख्यालों में ख्याल तेरे आने लगे
मेरे ख्वाबों को आकर सजाने लगे !
आस पास गूँज उठे नगमें मुहब्बत के
होंठ मेरे प्यार भरे गीत गाने लगे !
तेरे इंतज़ार की बेक़रारी बढ़ गई
समन्दर में दुआ के तूफ़ान आने लगे !
तमाम रात हवाएं सर्द चलती रही
सुबह उजाले शहर को जगाने लगे !
जाने किस हाल में हैं, कैसे होंगे वो
दिल को हम अपने यूं समझाने लगे !
पोंछ डाला , हमने भी रंग रात का
तेरे आने की शर्त फिर लगाने लगे !
सारा दिन खुशबु तेरी साथ साथ रही
रात होते ही चाँद को फिर बुलाने लगे !

Monday, May 13, 2013

दिल को अपनी हिफ़ाज़त से डर लगता है
मुझे किसी की इनायत से डर लगता है !
इक मुद्दत से संभाल कर रखी हैं ख्वाहिशें
अब तेरी इसी अमानत से डर लगता है !
खुशियों के साथ वह गम भी लाता जरूर है
वक्त की इसी सियासत से डर लगता है !
अश्क काग़ज़ पर गिरे , गिर कर सूख गये
उनकी लिखी हुई इबारत से डर लगता है !
जाने क्या सुन ले ज़माना यह पता नहीं
ज़माने की इसी समाअत से डर लगता है !
वस्ल की उम्मीद से भी बहलता नहीं दिल
अब दिल को किसी राहत से डर लगता है !
तेरी तो दुआएं भी खाली नहीं जाती कभी
मुझे तो अब तेरी इबादत से डर लगता है !
पी पी कर बहुत ही थक गया हूँ मैं अब
अब मुझे अपनी आदत से डर लगता है !

बंगलूर
मदर डे पर सब माताओं को शुभ कामनाएं एवम मेरा प्रणाम !

माँ के प्यार का दिन मुकरर्र नहीं होता
माँ के प्यार सा गहरा समन्दर नहीं होता !
माँ दुनिया का सबसे अनमोल रिश्ता है
माँ के बिना कोई भी घर , घर नहीं होता !
माँ की करता है जो शख्स दिल से पूजा
उसको कभी किसी बात का डर नहीं होता !
लोग मस्ज़िद ,मंदिर में ज़न्नत तलाशते हैं
माँ के क़दमों से बड़ा ख़ुदा का घर नहीं होता !
मांग ले मन्नत फिर कभी मिले या न मिले
माँ की दुआओं सा भी कोई ज़ेवर नहीं होता !