Monday, June 4, 2012

महफ़िल में सब से खुबसूरत हम नज़र आते
आईने के सामने अगर, ढंग से संवर आते।
होश उड़ जाते सब के ही, वह चाँद देख कर
सितारे भी आसमान से जमीं पर उतर आते।
देखकर के सुर्खी ,गोरे गुलाबी रुखसारों की
गुलमोहर भी नए रंग में दहके नज़र आते।
वहशतें सब दिलों की, हद से गुज़र जाती
ख्वाहिशों के समंदर ,बदन में उतर आते।
निसार हम पर मुहब्बत का हर कतरा होता
हम चाहतों से हर दिल मालामाल कर आते।
उन लम्हों में क़ायनात भी सारी संवर जाती
अपनी खूबसूरती सबकी हम नज़र कर आते।
तोहफ़े तारीफ़ों के हमें मिल जाते इतने कि
फेरहिस्त उनकी पढ़कर बड़े खुश्नज़र आते।










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