Wednesday, July 31, 2013

बीमार के संग बीमार नहीं हुआ जाता
टूटी किश्ती में सवार नहीं हुआ जाता !
हज़ार कयामतें लिपटती हैं  क़दमों से
मगर फिर भी लाचार नहीं हुआ जाता !
बेशुमार धब्बे हैं धूप के तो दामन पर
हम से ही गुनाहगार नहीं हुआ जाता !
रहमतें तो बरसती हैं आसमां से बहुत
रोज़ के रोज़ साहूकार नहीं हुआ जाता !
यह भी सच कहा है किसी ने  दोस्तों
दोस्ती में ही दावेदार नहीं हुआ जाता !
उम्र गुज़र गई फाकामस्ती में ही सारी
अब हम से तो बेकरार नहीं हुआ जाता !
अपने दुश्मन को भी दुआ दे दें दिल से
इतना भी तो दिलदार नहीं हुआ जाता !
अब ये करें की तोड़ लें रिश्ता बेवफा से
हम से और  तलबगार नहीं हुआ जाता !
अब फ़रिश्ते नहीं उतरते हैं  ज़मीन पर
अब किसी का तरफदार नहीं हुआ जाता !
कुछ नहीं बदलेगा यह मालूम है मुझको
फिर भी मगर खबरदार नहीं हुआ जाता !

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