हर एक सवाल जवाबी नहीं होता
चिराग कभी आफ़ताबी नहीं होता !
गुज़र तो हमारी भी अच्छी हो जाती
दिल हमारा अगर नवाबी नहीं होता !
निगाहे नाज़ से अगर पिला देते मुझे
ख़ुदा की क़सम मैं शराबी नहीं होता !
खुशबु तो मुझमे वही आती है अब भी
मौसम लेकिन अब गुलाबी नहीं होता !
मैं लफ़्ज़ों में खुद को सिमेट तो लेता
हर एक दर्द मगर किताबी नहीं होता !
हजारों कत्ल हो गए इस राहे इश्क में
इश्क खुद तो खानाख़राबी नहीं होता
चिराग कभी आफ़ताबी नहीं होता !
गुज़र तो हमारी भी अच्छी हो जाती
दिल हमारा अगर नवाबी नहीं होता !
निगाहे नाज़ से अगर पिला देते मुझे
ख़ुदा की क़सम मैं शराबी नहीं होता !
खुशबु तो मुझमे वही आती है अब भी
मौसम लेकिन अब गुलाबी नहीं होता !
मैं लफ़्ज़ों में खुद को सिमेट तो लेता
हर एक दर्द मगर किताबी नहीं होता !
हजारों कत्ल हो गए इस राहे इश्क में
इश्क खुद तो खानाख़राबी नहीं होता
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