शुहरत छु लेती है जब भी ऊंचाइयां
आगे आगे चलती हैं तब परछाइयां !
मुझको काम में लगा हुआ देखकर
मसरूफ़ होजाती हैं मेरी तन्हाईयाँ !
खुशियों के रंग मुझ में जब भरते हैं
सिमट जाती हैं कहीं पे धुन्धलाइयां !
दिल की वादियों में शोर मचता है
तो सुर्खियाँ बन जाती हैं रानाइयां !
कुछ लोग मेरे उजालों से भी डरते हैं
परेशान करती हैं उनको अच्छाइयां !
ख़ुदकुशी कर लेते हैं लोग बहुत से
और नापते ही रह जाते हैं गहराइयां !
आगे आगे चलती हैं तब परछाइयां !
मुझको काम में लगा हुआ देखकर
मसरूफ़ होजाती हैं मेरी तन्हाईयाँ !
खुशियों के रंग मुझ में जब भरते हैं
सिमट जाती हैं कहीं पे धुन्धलाइयां !
दिल की वादियों में शोर मचता है
तो सुर्खियाँ बन जाती हैं रानाइयां !
कुछ लोग मेरे उजालों से भी डरते हैं
परेशान करती हैं उनको अच्छाइयां !
ख़ुदकुशी कर लेते हैं लोग बहुत से
और नापते ही रह जाते हैं गहराइयां !
No comments:
Post a Comment