दीवारों से हम बात क्या करते
तस्वीर से मुलाक़ात क्या करते !
तुम ही नहीं थे शहर में जब
तुम्हारी दी सौगात क्या करते !
फ़ुरसत ही नहीं थी तुम को तो
हम गुफ़्त्गुए जज़्बात क्या करते !
बस चंद खुशियों के वास्ते हम
दुश्वार यह हयात क्या करते !
तुम को ही याद न करते अगर
तो और सारी रात क्या करते !
सिमटने की कोशिशों में थे हम
हम और सवालात क्या करते !
तस्वीर से मुलाक़ात क्या करते !
तुम ही नहीं थे शहर में जब
तुम्हारी दी सौगात क्या करते !
फ़ुरसत ही नहीं थी तुम को तो
हम गुफ़्त्गुए जज़्बात क्या करते !
बस चंद खुशियों के वास्ते हम
दुश्वार यह हयात क्या करते !
तुम को ही याद न करते अगर
तो और सारी रात क्या करते !
सिमटने की कोशिशों में थे हम
हम और सवालात क्या करते !
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