Tuesday, May 29, 2012

अखबार पढ़कर आज कुछ यूं लिखा ......

बंगलोर मिरर में खबर आज एक यह पढ़ी
कि आंसुओं से भी नमक अब बनने लगा।
गम और ख़ुशी के आंसुओं से बना नमक
विदेशी बाज़ार में ऊँचे दामों में बिकने लगा।
अलग आंसू से बना अलग तासीर का नमक
अलग कीमत की शीशियों में सजने लगा।
आंसुओं की कीमत ऊँची लगने लगी जब
प्याजी आंसुओं का भाव भी बहुत बढ़ने लगा।
नमक ख़ुशी के आंसुओं का चख कर के तो
जो रो रहा था बहुत ज़ोरों से वो हंसने लगा।
गम के अश्कों की कीमत इतनी ऊँची लगी
मोतियों के भाव में ही वह तो बिकने लगा।
जिसने चख़ लिया ज़ुकामी अश्क़ का नमक
वक्त बेवक्त ज़ुकाम बेचारे का बहने लगा।



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