Tuesday, June 21, 2011

काश ! थोडा वक्त मेरे लिए होता
कोई संग मुस्कराने के लिए होता।
उम्मीदें नई दिल में घर कर जाती
वो अगर तसल्ली देने के लिए होता।
बंदिशें अगर लगी हुई नहीं होती
दिल खोलकर रखने के लिए होता।
जो कुछ मेरा था वो मेरा ही रहता
यदि शौक मेरा कुछ पैसे लिए होता।
आइना बुरा मेरा भी मान जाता
अगर मैं अनेक चेहरे लिए होता।
सूरज के दम पर कभी न चमकता
चाँद गर अपने उजाले लिए होता।
रो लेते हम भी जी भर कर अगर
आँखों में पानी रोने के लिए होता।


No comments:

Post a Comment